Tuesday, July 25, 2017

लेह लद्दाख का अनुभव -३

१४ जुलाई २०१७ -सुबह हम लोग सहरानपुर पहुँच चुके थे। सावन का महीना चल रहा था और कावड़िया बम बोल करते मदमस्त चल मे बढ़े जा रहे थे केसरिया रंग मै रंगे  कलश लिए, अच्छा लगता है हर धर्म की आस्था देख के। लोग कितनी पीड़ा उठा कर कितना कष्ट झेल कर फिर भी मुस्कुराते हुए अपने रास्तो पे आगे बढ़ते रहते है इसी को शायद विश्वास कहते है इसी को सच्ची निष्ठा या भगवान कहते है।
ख़ैर  सफ़र लम्बा था हम लोगो का। रस्ते डाइवर्ट किये गए थे सो हम लोगो को गांव के रस्ते होते हुए आगे बढ़ना पड़ा। आज दिन भर भी हम लोग कभी उत्तर प्रदेश तो कभी उत्तराखंड की दहलीज़ लगतें रहे।
जो खाना हम लोग घरो से ले के  चले थे खैर वो ही दिन मे काम आया। अरे हां एक बात मैं लिख्ना ही भूल रहा हु स्वत्छ भारत मिशन के कारण हम लोगो को कोई दिकत नहीं आयी दिन की की शुरुआत करने मे हर पेट्रोल पम्प पे आप को सुलभ शौच मिल ही जाना है। मैं इस बात से बहुत ही खुश हू की मेरा देश कही न कही बदल रहा है।
दिन मै करीब ३:०० बजे हम लोग चण्डीगढ़ के बॉर्डर पे पहुंचे ही थे की हमारे मित्र दानिश साहब को कोल्ड ड्रिंक पीने की सजा ट्रैफ़िक पुलिस ने दे दी चलान हाथों मै थमा के वैसे इसमें कोल्ड ड्रिंक की गलती नहीं थी पर उसी कारण वश भाई हमारे सीट बेल्ट लगना भूल गए थे। वहा से हम लोगो का रास्ता डाइवर्ट था रूपनगर होते हुए सो हम लोग बढ़ लिए आगे उसी रस्ते पर।
शाम करीब ७ :३० पे हम लोग ढाबे पे रुक के नाश्ता पानी किये और वहां से हमारे ड्राइवर कम पायलट शरीक साहब ने स्टेरिंग संभाल ली।
रात करीब ११ बजे हम लोग कुल्लू (हिमाचल प्रदेश )क्रॉस कर रहे थे। कुल्लू का टनल देख्ने लायक होता है रात के  वक़्त ठंडी हवा का बहना बिना ट्रैफिक के मान को सकुन सा मिलता है।
प्रोग्राम मै हम लोगो के कही रुकना नहीं था रोहतांग से पहले पर आप की सोच कहा तक चल सकती है भगवान के आगे।
रात ३ बजे करीब हम लोग मनाली पहुंच गए। दानिश साहब और काशिफ अंसारी पीछे मस्त हो के सोने का आनंद ले रहे थे।




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