पहले तो मैं सबसे छमा चाऊगा की इतने दिनों बाद मैं आज फिर से ब्लॉगर पे वापस आ सका। कुछ अधिक ही वयस्ता हो गयी थी अपने काम को ले के। कोशिश यही रहेगी की मैं कहनी को आगे बढ़ता रहू ,जो स्नेह और प्रेम आप लोगो का मिला उसका मैं तहे दिल से सभी लोगो का शुक्रगुज़ार हु।
१६ जुलाई २०१७ -अगली सुबह बहुत जोश से शुरू हुई हमलोगों ने अपना अपना सामान कार मैं फिर से डाला और मनाली की हसीन वादियों को अलविदा कहते हुए आगे का सफर फिर से शुरू किया सुबह के करीब ५ बजे हमलोगो ने आउटर मनाली मैं क़दम रख दिया। उन वादियों की ठण्ड और साथ ही साथ नदी की कलकलहाट जो मन मैं उमंग भर रही थी उसका शब्दों मैं शायद ही मैं उल्लेख कर पाऊ। तस्वीर का इस वक़्त पे मै सहारा लेना ज़दा पसंद करुँगा।
१६ जुलाई २०१७ -अगली सुबह बहुत जोश से शुरू हुई हमलोगों ने अपना अपना सामान कार मैं फिर से डाला और मनाली की हसीन वादियों को अलविदा कहते हुए आगे का सफर फिर से शुरू किया सुबह के करीब ५ बजे हमलोगो ने आउटर मनाली मैं क़दम रख दिया। उन वादियों की ठण्ड और साथ ही साथ नदी की कलकलहाट जो मन मैं उमंग भर रही थी उसका शब्दों मैं शायद ही मैं उल्लेख कर पाऊ। तस्वीर का इस वक़्त पे मै सहारा लेना ज़दा पसंद करुँगा।
ख़ैर जब बात खूबसूरती और वो भी हिमाचल की हो तो अलग सा मूड बन जाता है। शायद ही मै तह उम्र हिमाचल को भूल पाउँगा मेरे बहुत से अच्छे अनुभव जुड़े हुए है उस जगह से ओह देखे कैसे मैं बहक जाता हु और मैन स्ट्रीम से हाट जाता हु। चलिए फिर से अपने अनुभव पे लौटता हु। सफर लम्बा था सो बिना रुके हुए हमलोग बढ़ते रहे और रोहतांग के जाने वाले चेक पोस्ट पे पहुंच गए वहां बारिश की वजह से जैम सा लगा हुआ था. २० से २५ मिनट बाद हमलोग चेक पोस्ट क्रॉस कर पाए और दिल की धड़कन जैसे खुद बा खुद तेज सी हो गयी। सुबह का वक़्त होने पे हमारे सभी भाईलोग एनर्जेटिक महसूस भी कर रहे थे सो गाड़ी की रफ़्तार भी अच्छी बानी हुई थी हाला की कोई एक्सप्रिएंस नहीं था जनाब लोगो के पास पहड़ो पे चलने का। शायद कोसकर पोस्ट पड़ता है रस्ते मे हमलोग नाश्ता करने को वहा पे रुके और तब अहसास हुआ हमे ठंड का। १५ -२० मिनट वहां रुक कर हमलोग आगे बढ़ लिए। आज सिर्फ और सिर्फ दिमाग मै सफ़र को आगे बढ़ने का था क्यों की हमलोगो का एक दिन मनाली मे चला गया था। रोहतांग पास पहुंचने के बाद भी हमलोगो ने सफर जारी रख्ने का मन बनया और फिर गाड़ी चलती गयी। इतना मनमोहक दृश्य देख के मन बच्चा बन जाने का हो रहा था और हुआ भी वही गाड़ी की खिड़की खोल के उस पे बैठ कर वादियों का लुफ़त लिया हमलोगो ने काफी जगहों पे रुक रुक के सेल्फी और पिक्चर्स भी क्लिक करते रहे। और इस बात का हसास नहीं हुआ की ठण्ड ज़ादा थी।